Roads of Uttarakhand. |
ऐसे में हमारे पहाड़ सबसे सही जगह हैं अपने को दुनिया की इस आपाधापी से दूर लेकर जाने के लिए.
यही सोच कर एक दिन मै निकल पड़ा पहाड़ों की ओर. सामान बस इतना जो अपने कंधे पे ढो सकूँ.
हरिद्वार के लिए निजामुद्दीन स्टेशन से ट्रेन लिया और सुबह ५ बजे मै हरिद्वार पहुँच चूका था. पता नहीं किस ओर जाऊं फिर सोचा पहाड़ जिधर ज्यादा ऊँचा हो उधर ही जाया जाए. ऐसे में नजदीक के बस स्टैंड पहुँच गया. बस मिलने के साथ ही शुरू हुआ मेरा ये अकेला सफ़र, ना किसी का साथ ना किसी को जानकारी. ऐसे ही पथरीले रास्ते जहाँ हर थोड़ी दूरी पर रास्ते धंस जाते हैं और पता नहीं होता की रात कहाँ बीतेगी. मै चल पड़ा था ऐसी दुनिया की ओर जहाँ जिंदगी सुस्त है पर शांत है.
१२ घटे का रास्ता है हरिद्वार से जोशीमठ का, जिसमे कई प्रयाग आते हैं जिनका अर्थ होता है २ नदियों का मिलन और हिन्दू आस्था के अनुसार ये पवित्र संगम है जहाँ लोग स्नान करने आते हैं. रास्तें में छोटी छोटी दुकानें हैं जहाँ परांठा और दही खा सकते हैं, ऐसा लगता है ये दिल्ली में पिज्जा हट में बैठ के ऐसा सुख नहीं मिल सकता. उत्तराखंड के पहाड़ों की खासियत है की यहाँ एक तरफ ऊँचे पर्वत हैं तो दूसरी तरफ सड़क के किनारे गहरी खायी है जहाँ उत्श्रीन्क्हल नदियाँ बहुत ज्यादा तेज बहाव के साथ आगे बढती हैं. गंगा इन्ही रास्तों से नीचे हरिद्वार आती है. थोड़ी सी भी असावधानी घातक हो सकती है.
बस के १२ घंटे के रास्ते को मैंने पहाड़ों को निहारते हुए बिता दिया. इस देवभूमि को सही में ईश्वर ने बहुत सुन्दर बनाया है. राह चलते कई जहग आप पानी के छोटे छोटे झड़ने देख सकते हैं. कई जगहों पे नदी के ऊपर रस्सी के छोटे छोटे पुल हैं जहाँ से गुजरना भी रोमांच भरा है. प्रकृति की आवाजें वातावरण में फैली रहती हैं.
नदी की धाराएं इतनी तेज़ हैं की उनके आवाज से आपको और कुछ सुनाई भी न दे. इन्ही सब बातों के साथ उत्तराखंड एक अपनी ही अलसाई सी सुबह में धीरे धीरे सूरज की रौशनी से भर जाता है.
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